सुन्नर सपना
सुन्नर सपना (कविता)
पाएर मे सिकड़ नइ दिअ
झूठका बन्हन नै बान्हु
उधिआबए चंचल हवा मे
बेस इतिहास मे डुबा दू
उमंग अछि इतिहास रचब
ताउ हो तन मन मे
श्रेष्ठ बनि बेस श्रेष्ठ रहि
इतिहास के दोहराउ
अंगप्रदेश अछि घर आँगन
संबंधी बज्जि संघ अछि अपन
संस्कृति संस्कार सँ जोड़ब
हम छी गौरवशाली मे बसल
समय चक्र के धौब पहिने
नै बेसी लोभ करब अन्न धन के
इजोरिया मे चाहै छी आनब
भटकल संबधी अछि अपन
वेदान्त श्रेष्ठ मात्रभूमि वंदन
सिद्धांत से इजोत दुनिया मे
एक मिसिया नै खुन बहै किनको
हे मात्यभूमि वरदान देिअ
संजोएनै छी सपना सच हो
किनको आँखि आंसू नै आबै
बौध्द के आशीष भैटय
सुत्र अछि गौरव वैशाली
लिच्छवि वीर आरो कर्णक
सलहेश गाथा गुजै कान मे
बेस वीरगथा सभऽ इयाद रहै
वीर केर धरती अछि अपन
जनक धिया जानकी बहिन
पाहुन राम के सभ्भ माया हो
राजा विदेह के छाया रहै
उज्जवल भविष्य अछि अपन
चान उतरे खेत खरियान मे
भारतवर्ष केर गरिमा मे
हम विधापति जेहने बनू
सभ्भ केओ अपन कहि इठलाबै
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य