सुन्दर सुनहरी स्वप्न सजाएं
सुन्दर सुनहरी स्वप्न सजाएं
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सुन्दर सुनहरी स्वप्न सजाएं
मधुरिम मोती माला में पाएं
प्रेमभाव है घट रहा धरा पर
सभ मिल के प्रेम तराने गाएं
भाईचारा सदा रहे जीवित
बंधुत्व बंधन हैं टूटते जाएं
भाई भाई का ना हो दुश्मन
आओ ऐसी हम प्रीत बनाएं
ईर्ष्या का हो जाए मुंहकाला
दुनिया में ऐसी रीत बनाएं
मानुषिक मनवा माधुर्यपूर्ण
मनमौजी,मोहन,मीत बनाएं
स्वार्थपरायणता रफूचक्कर
सुखविंद्र ऐसा मौसम बनाएं
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)