* सुन्दर फूल *
** गीतिका **
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सुन्दर फूल जगा देते हैं, मन में प्यार।
लेकिन अल्प समय इनका है, जीवन सार।
खिला खिला जीवन लाता प्रिय, मन में भाव।
किंतु शूल हेतु हमें रहना, है तैयार।
हमें मिला देती मंजिल से, है जब नाव।
गहराई का करें आकलन, क्यों हर बार।
खत्म कहां होती जीवन भर, भागम भाग।
साथ उमंगों का होता है, नव संचार।
राह प्रेम की आते रहते, हैं व्यवधान।
सच्चे प्रेमी पा लेते हैं, उनसे पार।
करते हासिल जो जीवन में, मुश्किल लक्ष्य।
चल पड़ता है पीछे उनके, यह संसार।
कट जाती है देखो पतझड़, ऋतु के बाद।
वासंती फूलों पर आता, बहुत निखार।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १९/०२/२०२४