सुन्दर जेल तिहाड़ी है
सत्य सत्य को नहीं जानता, असत्य जुबाँ की बोली है।
झूठों की जयजयकार हो रही, झूठों की रंगोली है।।
सच्चाई की बात करे वो मुश्किल में पड़ जाएगा।
नीति धरम पर चलने वाला, निश्चित धोखा खायेगा।।
नामों निशां मिटेगा उसका, जो सच्ची बातें बोलेगा।
मौत मरेगा कुत्ते की जो जुबां सत्य की खोलेगा।।
विकट काल का महाकाल जो, लेता रोज सुपाड़ी है।
घपलों पर और घोटालों पर, करता देश सवारी है।।
बैठाया गद्दी पर जिनको, वतनपरस्ती के लिये।
वतन बेचकर मचल रहे हैं मतवाले मस्ती के लिये।।
शोर मचा है जोर शोर से हाहाकार है जगती में।
ठण्ड भगाने के लिये जो, आग लगाई बस्ती में।।
धूं धूं करके आग लगी है, धुंधयाया संसारी है।
लूटपाट के तांडव ने जीती, दुनिया सारी है।।
शेर नहीं सवा शेर बना घूमे, भ्रष्टाचारी है।
जाना पड़े भी अंदर उनको, सुन्दर जेल तिहाड़ी है।।
घपलों पर और घोटालों पर, करता देश सवारी है।।