सुन्दर की शाम
सुबह तक़रीबन पौने चार बज रहे होंगे कि सुन्दर की आंख खुल गई उसे उसके प्लाटून कमांडर हरी सिंह जगा रहे थे और जगा कर कहा दो मिनट में तैयार हो जाओ पता चला है कि कुछ आतंकवादी नाले से होकर गुजरने वाले हैं हमें उनसे पहले पहुंच कर नाले के ऊपर अपनी पोजीशन लेनी है ताकि हम उन्हें पकड़ सके | हरी सिंह को यस-सर कहते हुए सुन्दर शेर की भांति उछल कर खड़ा हो गया उसे देख कर ऐसा लग ही नहीं रहा था की वह थोड़ी देर पहले सो रहा था कुछ ही पल में वह तैयार होकर अपनी एके 47 लेकर अपने टेंट से बहार आकर मंदिर के सामने भगवान की आराधना करने लगा | तभी हरी सिंह और उसके साथी भी आ गये सभी भगवान का प्रसाद लेकर नाले की ओर उतर गये | सुन्दर अभी-अभी शादी करके वापस डिउटी पर आया था, जिसदिन वह घर से चला था उसकी पत्नी गुड्डो बहुत रो रही थी वैसे तो सुन्दर कई बार सेना में रहते हुए छुट्टी काटकर घर से वापस आया था किन्तु इसबार शादी के बाद उसे आकर खुद को यहाँ के वातावरण में अपने-आप को सम्हालने में काफी समय लग रहा था | वह गुड्डो के बारे में सोचता चला जा रहा था कि कैसे गुड्डो उससे लिपट कर रो रही थी और उसे सेना की नौकरी छोड़कर घर पर रहकर खेती करने के लिए प्रेरित कर रही थी | आते समय गुड्डो ने कहा था कि अब आप की कुशलता के साथ मेरी जिंदगी की डोर जुड़ चुकी है तो आप अपना अब ख्याल रखियेगा इसी उधेड़-बुन में सुन्दर लगा था कि, सभी के एका-एक रुकने की आहट से वह सजग हो उठा तभी कमांडर हरी सिंह ने इशारे से सभी को अपनी-अपनी पोजीशन लेने के लिए आदेश दिया | सभी लोग पत्थरों की ओंट में बैठ गए उसी समय एक पंछी की आवाज सुनाई दी हरी सिंह समझ गये कि यह उनके खबरी के आने का इशारा है जो पंछी की आवाज थी वह कोड वर्ड था | कमांडर हरी सिंह ने भी उसी तरह दूसरी आवाज में उत्तर दिया और तभी एक हट्टा-कट्टा दाड़ी वाला लगभग 30 से 35 साल की उम्र का आदमी झाड़ियों से बाहर आकर हरी सिंह को कुछ बताया | उसके बाद हरी सिंह ने सभी को एकत्रित करके कुछ आदेश दिए उसी आदेश के तहत सभी लोग आनन-फानन उस जगह को छोड़ दो हिस्से में बंटकर कुछ लोगों ने पहाड़ी के ऊपर अपनी पोजीशन ले ली और कुछ लोगों ने नाले के दोनों किनारों पर अपनी पोजीसन ले रखी थी | तक़रीबन दो घंटे के बाद लगभग सुबह चार से साढ़े चार का समय रहा होगा काफी घना अँधेरा था तभी दूर किसी के आने की आहट सुनाई पड़ी हरी सिंह सबसे आगे थे उन्होंने देखा की चार लोग जो की फिरन पहने थे और अपना मुख छिपा रखे थे देखने में काफी हट्टे-कट्टे लगभग 25 से 35 साल के बीच सभी की उम्र लग रही थी उनके हांथो में एके 46 रायफल मैगजीन के साथ और जाकेट जो पहन रखे थे उनपर ग्रनेड लटक रहे थे बिना समय लगाये हरी सिंह समझ गए की ये वही आतंकवादी हैं जिनका सुराग उनका खबरी थोड़ी देर पहले देकर गया था | बिना समय गवाएं हरी सिंह ने इशारे से सबको समझाया की इन सबको आने दो, सभी जब पूरी तरह से हमारे हमला करने की सीमा में दाखिल हो जाये कि हमला करने पर न भाग सकें और न हमले का जबाब दे सके ठीक उसी समय हम उनपर धावा बोलेंगे थोड़ी देर में चारों आतंकी हरी सिंह के प्लाटून की रेंज में आ गये थे | हरी सिंह ने इशारा किया और एक साथ चारों ओर से एके 47 के फायर आने लगे आतंकवादी कुछ समझ पाते इससे पहले ही उन चारों को मार गिराया गया और इस सफलता की सूचना कमांडिंग अफसर को रेडियो सेट से दे दी गई | सभी ख़ुशी से नाच रहे थे की उनकी पार्टी ने चार आतंकी मार गिराए हैं | लेकिन सुंदर जो की निशाने के मामले में यूनिट का अर्जुन कहा जाता था और ऐसे मौकों पर सबसे पहले अपनी रायफल से फायर करता था लिकिन उसने आज एक गोली भी न चलाई थी न जाने उसे क्यों आज आतंकवादियों पर फायर करना लाजमी नहीं लग रहा था| किसी तरह दिन बीत गया और शाम को खबर आयी की सीमा पार से 10 आतंकवादी रात को LOC पार हुए हैं जिसमें यह तयं था कि चार मारे गये थे लेकिन फिर भी अभी 6 बाकी थे जो कि अब और क्रोधित हो चुके होंगे क्योंकि उन्हें अपने चार साथियों के मारे जाने की खबर लग चुकी होगी | इसी उधेड़-बन में सुन्दर पड़ा था और सोच रहा था कि हम उन्हें न पहचानते है न जानते हैं और वे भी हमें न जानते और पहचानते हैं फिर चंद राजनीतिक गतिविधियों के कारण हम एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते है आखिर क्यों ? सुन्दर के मन में बार-बार सवाल उठ रहा था लेकिन इसका उत्तर उसके पास न था तभी एका एक रेडियो पर कुछ लोगों को कोड में बातें करते सुनाता है कि आतंकवादिओं का आका कह रहा था-“चार का बदला चालीस होगा |” सुन्दर को समझते देर न लगी की उनके आका का कहना था कि भारतीय सेना को काफी नुकसान पहुँचाना है यह खबर सुन्दर ने अपने कमांडर को तुरंत देना उचित समझा और ऐसा ही किया सुन्दर की बात सुन कर कमांडर हरी सिंह ने बिना देर किये इसकी सूचना आला अधिकारीयों को दी और आपात बैठक बुलाकर इलाके में छिपे 6 आतंकवादियों को खोज निकालने के लिए अभियान चलाने की रणनिति पर चर्चा के लिए सभी को संगोष्ठी-कक्ष में एकत्रित कर लिया | सभी अपनी-अपनी राय दे रहे थे कोई कह रहा था कि यह सभी बिल के चूहे हैं, इनके पीछे भागने से बेहतर है कि इनके बाहर आने का इंतजार किया जाए, तो कोई कह रहा था कि इनको खोज कर मार गिरना चाहिए यही उचित मौका है | इन सभी चर्चा के बीच सुन्दर ने अपनी अजीबोगरीब राय दी उसने कहा कि इनको छोड़ देना चाहिए अपनी हालत पर, सभी ने समझा कि सुन्दर यह कह रहा है कि उनकी बाहर आने की प्रतीक्षा करनी चाहिए | अंत में यह निर्णय लिया गया कि अभी हमें भारी सफलता मिली है हमें चुप रहना चाहिए और सजग तथा चौकन्ना रहकर उनके बाहर आने का इंतजार करना चाहिए एवं किसी भी प्रकार की गतिविधियों पर तीखी नजर रखनी चाहिए | इस बात के साथ बैठक समाप्त हो गई सभी अपने-अपने बंकर में आ गये | सुन्दर अभी भी सहज नहीं हो पा रहा था | वह बिस्तर पर कब करवट बदलते-बदलते पत्नी गुड्डो के बारे में सोचते-सोचते सो गया कुछ पता ही न चल सका था, जब साथी मोहनलाल सुबह की चाय लेकर आया और उसे चाय के लिए उठाया तो पता चला की सुबह तो कब की हो गयी है | सुन्दर सुबह की चाय पीकर जल्दी ही तैयार होकर रेडियो सेट के पास आ गया जहाँ उसकी डिउटी थी सुबह–सुबह ही रेडियो सेट पर इंटरसेप्ट आया | आतंकवादियों को बात करते सुना कि दो दिन बाद कोई विवाह है बगल के गावं में वहां जाना है, यह बात सुनकर सुन्दर को अजीब सा लगा क्योंकि उसने ऐसा इंटरसेप्ट पहले कभी न सुना था कि जिसमें आतंकवादियों ने अपने प्लान का खुलासा इतनी आसानी से किया हो, यह पहला मौका था | सुन्दर को लगा कि यह आतंकवादियों की कोई चाल है | किन्तु डिउटी थी कि इंटरसेप्ट सुनकर कमांडर को बताना है सो सुंदर ने कमांडर हरीसिंह को बता दिया साथ ही उसने अपने मन की बात भी कह दी और कहा कि सर न जाने मुझे अपने अनुभव के आधार पर लग रहा है कि यह उनकी चाल है हम सभी को जाल में फंसाने की | कोई भी कदम उठाने से पहले हमें १०० बार सोचना होगा कमांडर हरीसिंह ने सुन्दर को भरोसा दिलाया की उसकी बात पर गौर जरूर किया जायेगा | इसी दिन एक घटना और घटी कि हरीसिंह का भेदिया दोपहर के दो बजने को हो गये थे लेकिन वह नहीं आया था | हरीसिंह ने सोचा क्या बात है ? उसे बुलाना चाहिए ऐसा कभी न हुआ था की वह इतना देर आने में करता वह तो रोजाना सात बजे चाय और ब्रेकफास्ट यहीं करता था हरीसिंह इसी उधेड़-बुन में था की उसे भेदिया आता दिखाई दिया निकट आते ही सलाम किया हरिसिंह कुछ कह पता कि भेदिये ने कहा जनाब बड़ी ही मजेदार खबर है परसों पहाड़ी पार गावं में शादी है और पक्की खबर है कि पूरे 6 आतंकवादी शादी में शरीक होने वाले हैं | यह सुनकर हरीसिंह औए पास खड़े सुन्दर की नजरें आपस में मिलीं यह देखकर भेदिया थोड़ा हडबडाया और उसकी यह हडबडाहट सुन्दर की पैनी नजर से बच न सकी, उसने पूछा क्या बात है ? कुछ घबराए से लग रहे हो | भेदिये ने कहा नहीं जनाब ऐसा नहीं है | वह कल मेरी बीबी जम्मू जा रही है सो मुझे भी जाना था कुछ खर्चा-पानी के लिए पैसे मांगने थे सो हिचक रहा था बस | सुन्दर को न जाने क्यों सब कुछ अजीब लग रहा था लेकिन हरीसिंह ने सुन्दर को बताया की बेवजह इस पर शक न करे, क्योंकि यह हरीसिंह का सबसे विश्वासपात्र भेदिया है हरीसिंह ने उसको कुछ रूपये दिए और वह तीन दिन की छुट्टी लेकर वहां से चला गया | पता नहीं सुन्दर को सब अटपटा सा लग रहा था खबर का आसानी से मिलना और भेदिये का घबराकर बातें करना, उसपर उसका तीन दिन की छुट्टी लेना और विवाह का दिन इसी तीन दिन के अंदर होना, सुन्दर को कुछ समझ में नहीं आ रहा था और उधर हरीसिंह अपनी दूसरी सफलता की रणनिति बनने में लग गया था| उसने सारी खबर उच्चाधिकारियों तक दे दी और वह तीसरा दिन आ गया जब ऑपरेशन की पूरी तैयारी कर ली गयी और दो टीम तैयार की गयी पूरी तैयारी के साथ हमला करने की नीति बनी थी लेकिन जब आतंकवादी विवाह से वापस जाने लगते उस समय उनपर फायर खोलना था रणनीति में यही तय किया गया था क्योंकि यदि विवाह में आयी भीड़ के बीच कुछ होता तो मानवाधिकार आयोग के दायरे में घटना चक्र चला जाता फिर झमेला बड़ा हो जाता | इस लिए सभी को आदेश पुख्ता थे की फायर वापसी में ही खोलना है | वह घडी भी आ गयी जब सभी को निकलना था रात के दो बज रहे थे न जाने सुन्दर का मन नहीं मान रहा था उसने एक बार हरीसिंह से पुन: बात करना चाहा किन्तु हरीसिंह ने कहा सुन्दर तुम्हे क्या हो गया है? जब से शादी करके आये हो डरपोक से हो गये हो, सोचो कितना बढ़िया मौका है यूनिट का नाम रोशन करने का अगर तुम नहीं जाना चाहते तो तुम रूक सकते हो, लेकिन अब ऐ अभियान पूरा करके ही मै वापस आऊँगा कहकर हरीसिंह ने सुन्दर का कन्धा थपथपाया और माँ भवानी की जय बोलते सभी आगे बढ गये सुन्दर भी दबे मन से उन सभी के साथ हो लिया | प्लान के मुताबिक सभी रात दो से पौने तीन के बीच नाले को पार करके पहाड़ी की पगडंडी के दोनों ओर दोनों टीम को पत्थर की ओट में पोजीशन लेकर बैठना था | प्लान के अनुसार आतंकवादियों के दोनों टीम के बीच फंसते ही फायर करना था | लेकिन किसको पता था कि, भगवान की तो कुछ और ही मर्जी है | आतंकवादियों ने अलग ही प्लान बना रखा था काउन्टर अम्बुस का | जब उनको पता चला कि उनके साथियों को हरीसिंह की टीम ने मार गिराया है तभी बचे 6 आतंकवादियों के कसम खाई थी की इसका बदला जरूर लेंगे और वे अवसर की तलाश में जुट गये तभी उन्हें पता चला कि बगल गावं में शादी है इस मौके का फायदा उठाते हुए काम करना चाहते थे उन लोगों ने प्लान बनाया कि किसी तरह ये खबर हरीसिंह की टीम तक पहुँच जाये की शादी में आतंकवादी शरीक हो रहे हैं | इसी मकसद से रेडियो के सेना वाले चैनल पर झूंठी खबर दी कि हम शादी में शरीक हो रहे है इसके साथ ही हरीसिंह का भेदिया भी उनके हाथ लग गया जिसके घर वालों को बंदी बनाकर हरीसिंह तक यह खबर पहुंचाई गयी कि शादी में सभी आतंकी जरूर आयेगें और हरीसिंह उनके बिछाए जाल में बुरी तरह फँस चुका था | क्योंकि आतंकवादियों को सेना की हरकत का अंदाजा था कि ये लोग भीड़ में हमला न करके रास्ते का इस्तेमाल करेगें इसी का फायदा उठाते हुए पहाड़ी की पगडंडी पर सारे आतंकबादी रात 12 बजे शादी से खा पीकर निकल आये और सेना की टुकड़ी के बिपरीत काउंटर अम्बुस लगा दिया, क्योंकि उनको पता था की सेना की टुकड़ी इसी नाले के रास्ते से ही आयेगी, यह ही सीधा रास्ता है | इसका आभास हरीसिंह को कतई न था | हरी सिंह की टीम नाले में जैसे रात तक़रीबन तीन बजे के आस-पास घुसी पहाड़ी की पगडंडी पर पहले घात लगाये आतंकवादी उनका इंतजार कर रहे थे जब पूरी की पूरी टीम नाले में पूरी तरह उतर चुकी और आतंकवादियों को लगा कि अब हम आसानी से हमला करके ज्यादा से ज्यादा नुकसान सेना का कर सकते हैं तभी एक साथ सभी ने सेना की टुकड़ी के ऊपर एके 47 रायफल से फायर खोल दिया हरीसिंह और उसकी २० लोगों की टीम कुछ समझ पाती इससे पहले ही लगभग ७ से ८ लोगों को आतंकियों द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया | एवं १२ से १३ लोग बुरी तरह घायल हो गये थे सुन्दर और हरीसिंह खुद घायल थे सभी कराह रहे थे सुन्दर ने अपनी रायफल उठाकर भागते हुए आतंकवादियों के ऊपर फायर किया लेकिन दूरी काफी थी वे भागने में सफल हो गये | इधर घायल हरीसिंह पीड़ा से कराह रहा था और कराहते-कराहते सुन्दर से कहता है-“सुन्दर मुझे मांफ करना काश ! मैं तुम्हारी बात मान ली होती तो इतने मारे गये सैनिकों को बचा सकता था, इन सभी का गुनेहगार मैं ही हूँ|” सुन्दर किसी तरह घिसट-घिसट कर हरीसिंह के पास पहुँचता है तबतक हरीसिंह की सांसे थम चुकी होती है | सुन्दर घटना की सूचना रेडियो सेट से यूनिट में पास करता है लेकिन रात में सहायता पहुंचना संभव न था | सुन्दर अपनी और गुड्डों के सपनों के बारे में सोचने लगता है उसके जिश्म में कई एक गोलियां लगी होती हैं हर मिनट उसकी पीड़ा बढती ही जाती है और वह सोचता है गुड्डो को किया वादा वह न निभा सका और शारीर धीरे-धीरे ठण्डा पड़ने लगता है पूरब की ओर सूरज की लालिमा के साथ ही यूनिट की एम्बुलेंस घटना स्थल के निकट सड़क तक पहुंचती है और सुन्दर को बिना देर किये एम्बुलेंस में डाल कर अस्पताल लाया जाता है अस्पताल पहुँचने के पहले सुन्दर बेहोश हो जाता है | अस्पताल में पहले ही सूचित कर दिया गया होता है जैसे ही एम्बुलेंस वहां पहुँचती है लोग और डॉक्टर वीरसिंह सुन्दर की सेवा के लिए खड़े रहते हैं | डॉक्टर तुरंत सुन्दर को स्ट्रेचर पर रखाकर सीधे आपरेशन थियटर ले जाते हैं वहां पहले से ही एक डॉक्टरों की टीम तैयार रहती है तुरंत ही सुन्दर को आक्सीजन माक्स पहनाकर आपरेशन शुरू कर दिया जाता है | लगभग ढाई से तीन घंटे तक आपरेशन चलता है कुल आठ गोलियाँ सुन्दर को लगी होती हैं | डॉक्टर भी हिम्मत हार जाते है और कहते हैं कि- “आज के १० से १२ घंटे बड़े महत्त्व पूर्ण है अगर ये निकल गए तो सुन्दर के बचने की उम्मीद है नहीं तो भगवान जाने क्या होगा ? क्योंकि सुन्दर के शरीर से ६०% से ज्यादा खून बह गया है | अब तो ईश्वर का चमत्कार ही कुछ कर सकता है जितना हम डॉक्टरों के हाथ में था उतना किया है |” इधर पूरी यूनिट के लोग मंदिर के सामने एकत्र होकर दोपहर से ही पूजा हवन आदि करते रहते हैं, उधर आपरेशन के बाद सुन्दर को लगभग नौ घंटे के उपरांत होश आता है | डॉक्टर आकर सुन्दर को देखते हैं और कुछ अन्य दवाइयां सुन्दर को चढ़ रही गुलूकोज की बोतल में डालने के लिए सहयोगी नर्स को कहते हैं | सभी को रात बड़ी भारी दिखती है, इधर सुबह की पहली सूरज की किरण पहाड़ी पर पड़ती है इधर सुन्दर के जीवन की भी नई सुबह हो चुकी होती है | डॉक्टर भी ताजुब मानते है कि यह मात्र चमत्कार ही है और आकर बटालियन के सी. ओ. से कहते हैं कि मेरे ३५ साल के डॉक्टरी अनुभव में पहली बार किसी को इतना ज्यादा खून बहने के बाद और इस तरह से घायल इंसान को मौत के मुख से सचमुच बहार आते देखा हूँ | धीरे-धीरे सुन्दर को स्वास्थ लाभ होने लगता है | दो से तीन महीने में सुन्दर खतरे से पूरी तरह बहार आ जाता है, डॉक्टर उसे छह महीने के लिए चिकित्सा स्तर की प्रथम श्रेणी से नीचे कर देते हैं और छह महीने के बाद पुन: सुन्दर पूरी तरह अच्छा होकर स्वस्थ हो जाता है | २६ जनवरी के दिन उसे और उसके साथियों को भारत सरकार की ओर से वीरता पुरस्कार प्रदान किया जाता है | उसका तबादला पदोंन्नति के साथ उसके प्रशिक्षण-केंद्र में कर दिया जाता है | सुन्दर वहां जाकर नये सैनिक जो भर्ती होकर प्रशिक्षण के लिए आते हैं उनमें देश-प्रेम और देश-रक्षा तथा देश का मान सर्वोपरि है इस बात की जोश-पूर्ण शिक्षा देता है | सुन्दर हर साल देश को नये सैनिक प्रदान करने में अपना अमूल्य योगदान देता है | आज भी उसकी वीरता के चर्चे पूरी रेजिमेंट में गूंजते हैं |
पं. कृष्ण कुमार शर्मा “सुमित”