सुन्दरता
सुंदरता (दोहे)
सुन्दरता को देखकर,रहना सदा प्रसन्न।
यह अनुपम अनमोल है,कुदरत के आसन्न।
छेड़छाड़ करना नहीं,विकृत करो न मित्र।
यह सुगंध अति मधुर प्रिय,गमके जैसे इत्र।।
सुन्दरता को कुचल कर,मत बनना हैवान।
दानवता को त्याग कर,बन पावन विद्वान।।
सुन्दरता सत-शिव सदा,ईश्वर करें निवास।
संरक्षण करते रहो,हो दैवी अहसास।।
जिसने सुन्दर वस्तु का,सदा किया सम्मान।
वही मनुज इस लोक में,बना सत्य इंसान।।
सुन्दरता को चीर कर,कौन हुआ खुशहाल?
किसने देखा धर्म पथ,किसकी शुभ गति-चाल।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
यह दोहा सुंदरता के महत्व और उसके प्रति सम्मान की बात करता है। यह कहता है कि सुंदरता को देखकर हमें प्रसन्न रहना चाहिए और इसके साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। सुंदरता को कुचलने से हम हैवान बन जाते हैं, इसलिए हमें इसका सम्मान करना चाहिए और इसकी सुरक्षा करनी चाहिए।
यह दोहा सुंदरता के प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदलने की बात करता है और कहता है कि हमें सुंदरता को ईश्वर के निवास के रूप में देखना चाहिए और इसकी सुरक्षा करनी चाहिए। यह दोहा हमें सुंदरता के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाने की बात करता है।
अब मैं इसे संस्कृत और अंग्रेजी में अनुवाद करूँगा:
संस्कृत में:
सुन्दरताम् पश्यन् प्रसन्नः सदा भवति।
इयम् अनुपमा अनमोला कुदरतस्य आसन्ना।
न च्छेदयितुम् अर्हति विकृतिम् कुरु न मित्र।
इयम् सुगन्धः अति मधुरः प्रियः गमके इत्रः।
अंग्रेजी में:
Beauty is to be beheld with joy, always.
This incomparable, priceless thing is nature’s treasure.
Do not tamper with it, friend, do not distort it.
This fragrance is very sweet, like perfume.
अंतरराष्ट्रीय काव्य अनुवाद