सुनो
Hey…!!
Listen…!!
मैंने देखा है कुछ घरों में कि लोग बहूओ से कुछ ज्यादा ही ज्यादती करते हैं, उसे इंसान नहीं गुलाम की तरह treat करते हैं और बोलने में शब्दों की मर्यादा तो बिल्कुल नहीं होती,..!
और अगर किसी गरीब की बेटी अमीर परिवार में जाती है तो उसके लिए एक शब्द होता है जो अक्सर पति या सांस use करते हैं, वो शब्द होता है “दो टके की औरत ” साहब औरत कभी दो टके की नहीं होती वो तो सृष्टि का आधार है…!
मां जन्नत, बहन इज्जत, बेटी देवी, और बीवी हमसफ़र होती है..!
कोई भी बेटी अपने मायके से ज़ुबान लड़ाना या उल्टा जवाब देना सिख कर नहीं आती है , वो तो संस्कार , आंखों में शर्म और प्यारी सी मुस्कान लेकर आती है ..!
लेकिन ससुराल वाले चिड़िया सी बहूं को तानें मार मार कर बाज बना देते हैं और खुद को शरीफ़ बताते हैं..!
सृष्टि का नियम है जो बोया जाता है वहीं तो काटोगे ..!
जैसी मोहब्बत तुम अपने मां बाप , भाई बहन बहूं बच्चों से करोंगे , वैसे ही तुम्हारी औलाद भी तुमसे करेगी , यही लेन देन है यही स्वर्ग है और यही तर्क है..!
बस समझ समझ का फेर है..!