सुनो सखी एक बात बताऊँ
सुनो सखी एक बात बताऊं
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सुनो सखी एक बात बताऊँ,
जन्म – जन्म तेरा साथ पाऊं।
पत्ता-पत्ता डाली-डाली गवाह,
हवा बन कर मै समा जाऊं।
तितली सी तू फूलों की रानी,
भंवरा बन तुझ पर मंडराऊं।
नीरस जीवन की हो कविता
गीत गजल सदा तेरे मैं गाऊं।
मनसीरत तो है रमता जोगी,
मल्हार राग अनुरागी सुनाऊं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)