चुनाव का नज़ारा
बड़ा अजब होता है वो नज़ारा
अपने दोनों हाथ जोड़कर बेचारा
पांच साल के लंबे विरह के बाद
आपके घर आता है जब वो दोबारा।।
किया है बहुत और करने को
अभी भी बचा है बहुत
है जिम्मेदारियां बहुत ज़्यादा
इतना वक्त कम है बहुत।।
काम करने के लिए
मुझे और वक्त चाहिए
सेवा करने का मुझे और
एक अवसर चाहिए।।
दे दो इस बार भी अपना वोट मुझे
आगे बढ़ने को आपका साथ चाहिए
जीत जाऊंगा इस बार भी है यकीं
बस आप लोगों का आशीर्वाद चाहिए।।
फर्ज़ अपना निभाया है अच्छे से
दिख रही विकास की छटा हर हिस्से से
बातें उसकी हमको लग रही है
हो जैसे परियों की कहानियों के किस्से से।।
उसे लगता है मान जाएंगे लोग
उसकी अपनेपन की बातों को
है चुनाव का समय अभी, अभी तो
नींद भी नहीं आती उसको रातों को।।
तुम भी सोच लो अच्छे से
अब उसकी बातों में आने से पहले
कहीं और पांच साल न लग जाए
उससे अगली मुलाकात होने से पहले।।