*देना प्रभु जी स्वस्थ तन, जब तक जीवित प्राण(कुंडलिया )*
!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
उजले कारों से उतर फूलों पर चलते हों
एसी कहाँ किस्मत कि नसीबों में शिफा हो,
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
विषय-दो अक्टूबर है दिन महान।
मुझे इस दुनिया ने सिखाया अदाबत करना।
रंगो की रंगोली जैस दुनिया ,इस दुनिया के रंग में मैं कुछ इस
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी
"" *गीता पढ़ें, पढ़ाएं और जीवन में लाएं* ""
ज़िंदगी में एक बार रोना भी जरूरी है
शिव - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक