पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
स्वच्छता
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
तन्हा जिंदगी अब जीया न जाती है
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
वो पिता है साहब , वो आंसू पीके रोता है।
गांव गली के कीचड़, मिट्टी, बालू, पानी, धूल के।
- एक कविता तुम्हारे नाम -
"मन की संवेदनाएं: जीवन यात्रा का परिदृश्य"
#ਸਭ ਵੇਲੇ - ਵੇਲੇ ਦੀ ਗੱਲ ਲੋਕੋ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*चार दिवस मेले में घूमे, फिर वापस घर जाना (गीत)*
हमको रखना या सबका दिल यूँ भी ,