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16 Aug 2022 · 1 min read

सुनो ना

_________

बुझा दो आग नफरत की।
एक शमा मुहब्बत की जला दो।।
मुरझा गये है फूल चमन में।
ऐ बादे सबा तुम उन्हें फिर से खिला दो।।
हम अपनी अना के दायरों से निकले।
तुम भी अगर चाहो तो फासलों को मिटा दो।।
जो काम मुहब्बत के है वो मुहब्बत से करो।
जो काम सियासत के है उन्हें दिल से मिटा दो।।
इबादत की तिजारत करो यूं अपने ख़ुदा से।
जिसका जो बनता है उसे उसका सिला दो।।
एक आस जगा दो, एक उम्मीद उठा दो।
अपनो को अपने लिये फिर दिल मे जगाह दो।।

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 283 Views
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