सुनो तुम
सुनों तुम….!
जब
सब बिखरने लगे
………..उससे पहले
तुम !
……आ जाना
बिखराव ने हद लांघ ली
तो……..।
तुम भी बिखर जाओगे।
जब सब अपने …….।
अलविदा कहें
तुम्हारे अस्तित्व को।
तो
स्वयं को रोक लेना
मुड़कर देख लेना।
मैं वहीं मिलूंगी
जहां से तुम चले थे।
नई राह
नई उम्मीद
तलाश दूंगी।
संगीता बैनीवाल