सुनो जिन्दगी
सुनो जिन्दगी
क्या खता है के तु खुश नहीं मुझसे
क्या वजह है के खुशी दुर तलक साथ नही मेरे
मैं जिया तेरे रंग मे हूँ
मैं जिया तेरे ढंग से हूँ
अरमानों को कुचल के अपने
समझोता किया खूद से हूँ।
सुनों जिन्दगी
तेरा तो यकीन भी नहीं के तु कब तक साथ हे मेरे
इतना तो यकीन दिला जो पास हे
वो हर दम साथ रहे मेरे।
कभी तु छलकते आँसू बनकर आती है
कभी मंद मस्त मुस्कान दे जाती है
कभी कमजोर घडी मे भी हिम्मत की राह दिखाती है
कभी सही राह से भी भटकाती है ।
क्या शिकायत करू तुझसे भी
तु तो मेरी अपनी हे और
अक्सर सुना हे अपने ही दर्द देते है
अपने ही हम दर्द होते है।
सोनु सुगंध २७/०२/२०१९