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19 Nov 2023 · 5 min read

सुनील गावस्कर

क्रिकेट को लोकप्रियता के शिखर तक पहुँचाने वाले कप्तान : सुनील गावस्कर

सुनील गावस्कर वर्तमान युग के उन सार्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्होंने क्रिकेट को लोकप्रियता के शिखर तक पहुँचाने का काम किया है। उन्होंने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। वे टेस्ट क्रिकेट में उन केवल छह बल्लेबाजों में से एक थे, जिनका बल्लेबाजी औसत 50 से अधिक था। अपने पदार्पण के बाद से ही उनका बल्लेबाजी औसत कभी 50 से नीचे नहीं गिरा। यह सिलसिला अनवरत 1971 से 1987 तक जारी रहा। वे दुनिया के ऐसे एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने लगातार चार वर्षों तक एक कैलेंडर वर्ष में एक हजार या उससे अधिक रन बनाए। गावस्कर अपने समय में विश्व क्रिकेट में सर्वाधिक 34 शतक, सर्वाधिक रन (दस हज़ार से अधिक) सर्वाधिक शतकीय भागेदारियाँ एवं अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला में सर्वाधिक रन बनाने वाले एकमात्र बल्लेबाज थे। वे तेज गेंदबाजी के खिलाफ अपनी तकनीक के लिए जाने जाते हैं। इसका प्रमाण है, उनका उस वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ 65.45 का उच्च औसत, जिनके पास चार-तरफा तेज गेंदबाजी आक्रमण था और जिसे तब सबसे खतरनाक माना जाता था। उन्होंने भारतीय टीम का नेतृत्व करते हुए कई महत्त्वपूर्ण विजयें प्राप्त कीं, जिनमें 1984 का एशिया कप एवं 1985 का बेंसन एंड हेजेस विश्वकप प्रमुख है।
उनका पूरा नाम सुनील मनोहर गावस्कर था । उनका जन्म 10 जुलाई, 1949 को मुम्बई (महाराष्ट्र) में एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षादीक्षा सेंट जेवियर स्कूल और सेंट जेवियर कॉलेज में हुई। सन् 1966 में अपने स्कूल के लिए खेलते हुए वर्ष का भारत का सर्वश्रेष्ठ स्कूली क्रिकेटर नामित किया गया था। रणजी ट्रॉफी में लगातार तीन शतक बनाने के बाद उन्हें सन् 1970-71 में वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय टीम में चुना गया। नाखून में संक्रमण के कारण पहला टेस्ट न खेल पाने वाले गावस्कर ने दूसरे मैच में 65 व 67 रनों की नाबाद पारी खेली और विजयी रन बनाए, जिससे भारत को वेस्टइंडीज पर पहली जीत मिली। इसके बाद उन्होंने तीसरे टेस्ट में अपना पहला शतक 116 और नाबाद 64 और चौथे टेस्ट में 1 और नाबाद 117 रन बनाए। उन्होंने पाँचवें टेस्ट में 124 और 220 रन बनाकर भारत को वेस्टइंडीज पर अपनी पहली श्रृंखला जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक ही मैच में शतक और दोहरा शतक और यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे आज तक एकमात्र भारतीय हैं । वे एक ही टेस्ट श्रृंखला में चार शतक बनाने वाले पहले भारतीय भी बने, विजय हजारे के बाद एक ही टेस्ट में दो शतक बनाने वाले दूसरे भारतीय और हजारे और पॉली उमरीगर के बाद लगातार तीन पारियों में शतक बनाने वाले तीसरे भारतीय बने। वे एक श्रृंखला में 700 से अधिक रन बनाने वाले पहले भारतीय थे और आज तक ऐसा करने वाले एकमात्र भारतीय हैं। 154.80 के औसत के साथ यह 774 रन किसी भी बल्लेबाज द्वारा पहली श्रृंखला में बनाए गए सबसे अधिक रन हैं।
गावस्कर ने 1987 क्रिकेट विश्वकप के साथ अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत की। उन्होंने इसमें 50 की औसत से 300 रन बनाए। लीग चरण में न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने अपना सर्वोच्च वन डे स्कोर नाबाद 103 दर्ज किया। 1985 में शारजाह में पाकिस्तान के खिलाफ एक वन डे में उन्होंने चार कैच लिए और भारत को 125 रन के छोटे स्कोर का बचाव करने में मदद की। उन्होंने कुछ मौकों पर गेंदबाजी भी की थी । उनके द्वारा लिया गया एकमात्र विकेट 1978-79 में पाकिस्तानी जहीर अब्बास का विकेट था। वे एक अच्छे क्षेत्ररक्षक थे। स्लिप में उनकी सुरक्षित कैचिंग ने उन्हें टेस्ट मैचों में 108 कैच लेने वाले पहले भारतीय (विकेटकीपरों को छोड़कर) बनने में मदद की।
1975 के विश्वकप में इंग्लैंड के खिलाफ पूरे 60 ओवर खेलकर मात्र 36 रनों की उनकी पारी के लिए उनकी बहुत आलोचना भी हुई। उनका पूरा कैरियर एक दिवसीय शतक के बिना ही गुजरा। उन्होंने अपना एकमात्र एक दिवसीय शतक 1987 के विश्वकप में न्यूजीलैंड के खिलाफ 88 गेंदों में नाबाद 103 रन बनाए थे।
लिटिल मास्टर के नाम से मशहूर सुनील गावस्कर 10,000 से अधिक रन बनाने वाले पहले टेस्ट क्रिकेटर थे। 2005 में सचिन तेंदुलकर के उनसे आगे निकलने से पहले उनके नाम सबसे अधिक 34 टेस्ट शतक का रिकॉर्ड था। उन्होंने अपने पहले ही टेस्ट सीरीज में वेस्टइंडीज जैसी धाकड़ टीम के विरूद्ध सबसे ज्यादा 774 रन बनाए थे। उन्होंने वेस्टइंडीजके खिलाफ एक सीरीज में किसी भी खिलाड़ी द्वारा सर्वाधिक रन बनाए हैं। वे 18 अलग-अलग खिलाड़ियों के साथ 58 टेस्ट मैचों में शतकीय साझेदारियाँ करने वाले एकमात्र क्रिकेटर हैं। वे ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग और डेविड वार्नर के साथ तीन मौकों पर टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक बनाने के रिकॉर्ड के संयुक्तधारक हैं । गावस्कर लगातार 100 टेस्ट मैच खेलने वाले पहले क्रिकेटर थे।
गावस्कर ने 125 टेस्ट और 108 वन डे मैच खेले। इसके अलावा उन्होंने घरेलू क्रिकेट में मुंबई की ओर से कुल 348 प्रथम श्रेणी मैच खेले। टेस्ट की 214 पारियों में उन्होंने 51.12 की औसत से 10,122 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 34 शतक और 45 अर्धशतक निकले। इसमें उनका अधिकतम नाबाद 236 रन रहा। वन डे में उन्होंने 35.13 की औसत से 3,092 रन बनाए। इसमें उनके 1 शतक और 27 अर्धशतक शामिल हैं। वे टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार से अधिक रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज हैं। वे लगातार 100 टेस्ट खेलने वाले पहले क्रिकेटर भी हैं। केवल 5 फीट 5 इंच लंबे गावस्कर शॉर्टपिच गेंदबाजी खेलने में माहिर थे। उन्होंने टेस्ट में सबसे ज्यादा शतक बनाने के सर डॉन ब्रैडमैन का रिकॉर्ड तोड़ा था। ब्रैडमैन के नाम टेस्ट में 29 शतक थे। 2005 में सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट में सबसे ज्यादा शतक के उनके वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ा था।
गावस्कर ने सन् 1975-76 से 1984-85 के मध्य कुल 47 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की थी। इसमें से 9 मैचों में जीत और 8 मैचों में टीम की हार हुई, जबकि 30 मैच अनिर्णीत समाप्त हुए थे। इसी प्रकार उन्होंने सन् 1980 से 1985 के मध्य 37 वन डे मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की थी। इनमें से 9 में जीत और 8 मैचों में टीम की हार हुई, जबकि 30 मैच अनिर्णीत समाप्त हुए थे।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास के बाद गावस्कर कुछ समय के लिए बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रहे। उनको 1975 में अर्जुन पुरस्कार प्राप्त हुआ था। उन्हें 1980 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। 1980 में ही वे ‘विस्डेन’ भी प्राप्त हुआ। उन्हें 2009 में आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था। सन् 2012 में उन्हें कर्नल सी.के. नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था। उनके गृह जिले वेंगुर्लामें “गावस्कर स्टेडियम” का नाम उनके नाम पर रखा गया है।
सुनील गावस्कर ने क्रिकेट से सम्बन्धित कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमें सनी डेज, एन ऑटोबायोग्राफी, स्ट्रेट ड्राइव, आइडल्स, रंस एण्ड रूइंस तथा वन डे वंडर्स काफ़ी लोकप्रिय हैं। वे फिल्मों में भी अभिनय कर चुके हैं। उन्होंने मराठी फिल्म ‘सावली प्रेमाची’ में मुख्य भूमिका निभाई थी। बाद में वे हिंदी फिल्म ‘मालामाल’ में अतिथि भूमिका में आए थे। उन्होंने एक मराठी गीत ‘या दुनियामाध्ये थंबयाला वेल कोनाला’ गाया है, जिसे प्रसिद्ध गीतकार शांताराम नंदगांवकर ने लिखा था। इस गीत में क्रिकेट मैच और वास्तविक जीवन के बीच समानता को दर्शाया गया है।
सुनील गावस्कर की पत्नी का नाम मार्शनील है। उनके पुत्र रोहन गावस्कर भी भारतीय क्रिकेट टीम में कुछ मैच खेल चुके हैं। आजकल सुनील गावस्कर क्रिकेट मैचों की कमेंट्री करते हैं।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

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