सुनिश्चित करना है …!
निर्मम अनीतियों के समक्ष, दृढ़ व्यवहार सुनिश्चित करना है ।
सृजित स्वप्न हो सकें सभी साकार सुनिश्चित करना है ।
दिग दिगन्त तक फैले इस व्यापक भूमण्डल पर ….
अपनी क्षमता का दोहन कर निज आकार सुनिश्चित करना है ।।
– हरवंश श्रीवास्तव