सुनहरा कल
कल समाचार पत्र से ज्ञात हुआ के घरेलू उपयोग के रसोई गैस 25 रुपये महंगी हो गई। पेट्रोल के दाम 100 रूपये या इससे भी अधिक प्रति लीटर बिक रहा है। डीज़ल के दाम भी आसमान छू रहे हैं। सोचने का विषय यह है कि क्या रसोई से गैस गायब हुई? क्या सड़को पर गाड़ियां नही चल रही? इसके विपरीत पहाड़ी रास्तों पर गाड़ियों की भीड़ में कहीं कोई कमी नहीं।
इसका असर लोगों की जेब पर कम दिमाग पर ज्यादा पड़ रहा है। सिर्फ सरकार को दोषी मानना मेरे विचार से गलत है। यदि हम अर्थ शास्त्र की नज़र से देखें तो आज हमारा देश मजबूत हुआ है जहां विश्व बैंक का कर्ज लगभग समाप्ति की और है वही एक सुनहरा कल किसी पर्दे के पीछे से झांक रहा है जो अभी अदृश्य है।
अतः सरकार को दोष देने की बजाय आने वाले सुनहरे कल की कल्पना कीजिये।
वीर कुमार जैन
20 अगस्त 2021