सुनने की कला आपको स्वयं तक पहुंचा सकता है।
सुनने की कला को जाने समझे, आप सुनकर भी स्वयं में प्रवेश कर सकते, और आपको वर्तमान के साथ जीना सीखने में मदद करता है, सुनने की कला को जागरूकता के माध्यम से आप जान सकते है, जानने की प्रयास करे स्वयं आप धीरे धीरे मानना आरंभ करेंगे, क्योंकि आप वही सुनते हो जो आप सुनना चाहते है, पूर्ण आप कभी भी नहीं सुनते है और न देखते है, मन की दिशा को समझे, आपको कहां ले जाता है, कहां दुखी इंसान बनाता है, आप जितना धीरे धीरे सुनने पर ध्यान देंगे आप चौंक जाएंगे आप स्वयं में परिवर्तन और जागरण ला सकते है, कठिन तो है थोड़ा पर आपको ध्यान और प्रेम के रास्ते में दिक्कत नहीं होने देगा, विचलित नहीं होने देगा, मन को एक दिशा देगा, जिसके मदद से आप चेतना को देख सकते है, जान सकते है, मान सकते है और अंत में हो सकते है, ध्यान को अपने जीवन में एक मित्र के तरह उपयोग करें धीरे धीरे आप स्वयं सक्षम हो सकते है।
इसीलिए सुनने की कला को बढ़ावा दे , और जागरूकता के साथ जीए, फिर पूर्ण संसार आपका हो सकता है नहीं तब शत्रु, विचार आपको करना है, कहां तक पहुंचना है, धन सिर्फ या ध्यान भी,।
धन्यवाद🙏।
रविकेश झा।