“सुननी की ललूआ के लईका”
सुननी की कलुवा के लईका,
कलिहें के नौकरी पईले बा,
सच्च बताई एही से कलुवा,
तोहरा से अलगा भईल बा।।१
बड़ समझऊनी ओके ए भैईया,
ई का बड़ी बात भईल,
चारे दिन में दाढ़ा फूकलस,
इज्जत क सत्यानाश भईल।।२
आंख तरेरै, जीभ लपेटे,
जैसे हमके ऊं खा जाई,
हमके का पता एतनी जल्दी,
हे भईया आपन दिनवा पर भुला जाई।।३
बहूं समझऊनी कलुआ के,
अब लें न तुम्हार कुछ जिम्मेवारी रहल,
खईबो कईला, हन्डो फोरला,
ई कईसन तोहे बीमारी लगल।४
उल्टा हमके समझावेला,
खुद क धौस जमावे ला,
बाप ओकर रहके का करिहें
ऊं अपने वाली चलावे ला।५
हमहू कहनी छोड़ा ये भईया,
नियत में ओकरा पाप बसल,
सारा दमड़ी अपने पीटे,
तोहरा पर दिन रात हंसल।६
ओकरा खातिर खून बेचला,
चाहें अपने खुद बिक जईबा,
ओकर काम अब निकल गयल बा
अब तोहूं अपने के समझाईला।७
अब ओकरा से बड़ा न केहूं
रूपया भईल महतारी बा
भगवान ओकर मतिया मरलें
भयल पहिले से भिखारी बा।८
राकेश चौरसिया