सुनते तो कभी से आए थे — कविता
सुनते तो कभी से आए थे,महामारियां आती है।
एहसासों से गुजरे पता चला कितना रुलाती है ।
छोड़ गए कई साथ, होती रहती थी जिनसे बात।
सामाजिक प्राणी है,याद तो उनकी बार बार आती है।।
कहां बस में होता है कुछ भी हमारे तुम्हारे।
समय गति न जाने क्या क्या कर जाती है।।
हे बदलते वक़्त न बन तू इतना सख्त।
जन मानस की हिम्मत, कंही न कहीं डगमगाती है।।
बदल अपनी चाल,बहुत किया बीमारी ने बवाल।
कराहती दुनियां आज सारी गुहार लगाती है।।
राजेश व्यास अनुनय