सुध जरा इनकी भी ले लो ?
सुध जरा इनकी भी ले लो ?
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कैसे हैं ! हाल क्या है आप का ?
पूछते नव मिलन की इक बेला
हाथ मिलाते गले लगाते लगते
सहृदयी प्रेम प्यार स्नेह दर्शाते
दस्तूर संस्कृति भाव संस्कार है
महान देश भारतभाव जन का
सुध बुध लेते देते जानेअनजाने
आदर सम्मान पाते जन जग में
पर ? सुध लेनेवाले कम जग में
कृषक मजदूर गरीब बहादुर का
श्रमकरनेपरभी वसन कहां सूखी
रोटी भी मिलती दोनो शाम नहीं
आस आरमान सम्मान भाव भरे
परिश्रमी हैं इनसे हाथ मिला खैर
खैरियत हाल सुध कौन लेता है
पूछ कर देखो जरा तीव्र कर्मगति
ईमानदारी सेवा जग को देता है
हाल पूछलें भारत माता सीमा के
रक्षा खातिर लगे वीर जवानों से
लोहे बॉल उछल नभ टकरा आग
बिखर गोले गिर वॉर्डर पर नयन
रोशनी छिन जिस्म पिघला देताहै
ये भी हैं माँ पिता नयनों का तारा
भाई बहन बेटी की मांग सितारा
सोच विचार दया कर विवेक से
सुध हाल खबर भी ले लो उनकी
दूजे रक्षा के खातिर निज सिंदुर
लुटा जीवन संगीन बनी जिनकी
बाहर भीतर भेद मिटा हाल पूछो
जग जन मानस के हृदय का भी
उत्साह उमंग दे साहस मदद से
आत्म बल बढ़ाओ कर्मयोगी की
जय जन जय विश्व भारती दिल
सत्यनिष्ठ कर्मठ वफादारों से पूछें
सुध ले देखें गरीबी का जिसमें है
छिपा स्वच्छ दर्पण दर्शन देश के
बदले तस्वीर नगर गाँव जन भारत का
तभी पुकारते जय जन जय भारती
जय जन गण मन भारत भारती ?
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कविवर :-
तारकेश्वर प्रसाद तरूण