सुगन्ध
शर्म से लाल पड़ गया था
डूबते हुए सूरज की तरह
उसका चाँद सा
हसीन सफ़ेद चेहरा
जब मैंने
चूम लिया था
उसकी नर्मो-नाज़ुक
गुदाज़ हथेली
जिनमें बसी हुई थी
दोपहर के भोजन में
परोसे गए
कबाब की सुगन्ध।।
****
सरफ़राज़ अहमद “आसी”
शर्म से लाल पड़ गया था
डूबते हुए सूरज की तरह
उसका चाँद सा
हसीन सफ़ेद चेहरा
जब मैंने
चूम लिया था
उसकी नर्मो-नाज़ुक
गुदाज़ हथेली
जिनमें बसी हुई थी
दोपहर के भोजन में
परोसे गए
कबाब की सुगन्ध।।
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सरफ़राज़ अहमद “आसी”