Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jul 2020 · 4 min read

#सुगंधा_की_बकरी

सुगंधा कुछ बडबडाते हुए तेज – तेज कदमों से आंगन पार कर रही थी। उसके एक हाथ में छोटी सी बाल्टी दूसरे में बांस की छोटी सी टोकनी जिसमें रात की बची बासी रोटी और आटे का चोकर था।
तभी दरवाजे से अंदर आते नीलेश ने पूछा “बूढ़ा तो गई ही हो अम्मा दिमाग भी खराब हो गया है क्या? यह … काम करते करते तुमको बड़बडाराने की आदत कहां से पड़ गई ?”
सुंगनधा को ऐसे जान पड़ा मानो किसी ने नंगी बिजली की तार से उसे छू दिया हो। उसने झल्लाहट और चिढ़ में अपनी चाल और वाणी दोनों को गति देते हुए कहा “हां तुम लोग सहर जाकर दू चार किताब पढ़ कर ज्यादा होशियार हो गए हो न … हम क्या जाने होशियारी हम तो गवई गवार लोग तुम लोग ही सब समझते हो जाओ इहां से नहीं तो झगड़ा हो जाएगा ….
नीलेश जो उसके पीछे पीछे चल रहा था आज पूरा का पूरा ठिठोली के मूड में था। गांव के सभी छोटे बड़े उसे पसंद करते थे सुगंधा कुछ ज्यादा ही। निलेश जब भी शहर से गांव आता वह सर्वप्रथम सुगंधा से मिलने जाता … सुगंधा के हाथों नाश्ता पानी करने के बाद ही वो अपने आंगन जाता और वहां लोगों से मिलता था।
इस बार भी उसने ऐसा ही किया लेकिन आते ही देखा सुनंदा किसी बात पर चिधी हुई है खुद अपने आप से बातें कर रही है।
अब तक दोनों घर के पिछवाड़े बने बकरी के छोटे से घर तक पहुंच गए थे वहां सुगंधा ने देखा बकरियां अब तक बंधी है वो और चिढ़ गई… और तेज तेज बोलने लग गई … इस घर में मैं तो नौकरानी हूं, आदमी से जानवर तक का सारा का काम मुझे ही करना है किसी को कोई गरज नहीं मैं जीऊं या मरुं सब को बस काम समय से चाहिए” बोलते हुए भी वो अपने काम को बड़ी सुघड़ता से अंजाम दे रही थी। बकरी के गरदन को सहलाते हुए वहीं नीचे बैठ गई और उसे रात की बची रोटी और चोकर खिलाने लगी…
नीलेश समझ चुका था आज उसकी आजी ज्यादा परेशान है, वो भी नीचे बैठते हुए सुगंधा के गले में पीछे से हाथ डालते हुए बोला “नाराज़ क्यूं होती है आजी… तेरे से अच्छा कोई है क्या ? जो सभी चीजों को इतने अच्छे से करे इसी लिए तो तुझ पे इतना भार है। तू परेशान न हुआ कर तेरी परेशानी मुझ से देखी नहीं जाती”
सुगंधा का गुस्सा मानो मोम की तरह पिघल गया।
सुगंधा दो बार मां बन चुकी थी लेकिन अपनी ममता अपनी ओलाद पे लुटा नहीं पाई थी। एक अजनमा ही चला गया दूसरा जचगी के तीन दिन के अंदर ही।
नीलेश से उसे वो प्यार मिलता जो अपनी ओलाद से पाना चाहती थी।
सुगंधा के शब्दों से अब ममत्व टपक रहा था उसने कहा “छोड़ छोड़े मेरा दम घुट जाएगा … बकरी को बाल्टी से पानी पिलाते हुए बोली “चल तुझे भी कुछ खाने को दूं… कल ही तेरी याद आ रही थी तो गुजिया बनाई थी खोआ वाली तेरे पसंद की”
नीलेश अपनी पकड़ को और मजबूत करते हुए बोला “तू जब कत बताएगी नहीं की किस बात से तू आग हुई जा रही थी, छुरूंगा भी नहीं तुझे जाने भी नहीं दूंगा और खाऊंगा भी नहीं। ऐसे ही सहर वापस चला जाऊंगा”
अब सुगंधा लगभग मनौती करते हुए बोली “लला वैसी कोई बात नहीं चल तू उस बात को छोड़, चल आंगन चलते हैं”
नीलेश और कसते हुए “ना…
सुगंधा अब दुविधा महसूस करते हुए बोली “अच्छा चल पहले कुछ खा पी ले फिर बताऊंगी”
… ना आजी तू गोली दे देगी, खा मेरी सौ…
… अच्छा ठीक है बाबा… कह सुगंधा लगभग हार मानते हुए नीलेश के हाथ को थप थपा दी
दोनों फिर आंगन पार कर एक छोटी सी कोठरी में पहुंचे। जहां करीने से सारा सामान पड़ा था चौकी के बिस्तर जिसपे एक भी सलवट न थी उसे ठीक करते हुए सुगंधा ने कहा “आ लला बैठ जा…
नीलेश बैठते हुए चारो तरफ नजर घुमा कर देखने लगा, फिर थोड़ा छोभ और दुख महसूस हुए बोला “बरसों से इस कमरे को वैसे ही देख रहा हूं, न कुछ घटा है न बढ़ा है…
सुगंधा धीरे मगर जर्द पड़ गए चेहरे को दूसरी ओर घूमाते हुए बोली… “तू देख रहा इस लिए कमी घटी नहीं दिखती … तेरे आने और जाने से मुझे दिखती है…
फिर बात बदलते हुए कहा “तू मेरा पीतल का कान्हा लाने वाला था लाया या फिर …
नीलेश “अरे इस बार फिर भूल गया… कहते हुए जेब से उस ने एक छोटी सी थैली निकाल सुगंधा के हाथों पे रख दिया…
सुगंधा खुशी से रो पड़ी… उसने थैली खोली तो उस में चांदी के कान्हा थे। मानो सुगंधा खुशी से पागल हो गई हो … वो कभी नीलेश को चूमती कभी कान्हा को सहलाती …
तभी नीलेश मानो उसे स्वप्न से जगाते हुए बोला “भूख लगी है … यशोदा मई या कुछ खाने को मिलेगा …
सुगंधा झेपते हुए भगवान को एक पीतल की थाली में रख वहां से सुबह का प्रसाद उठाते हुए बोली … “ले पहले इसे खा ले … कुछ नहीं होता जानती हूं तू नहीं खाएगा छोड़ किसी को मेरे मन की कहां पड़ी …
नीलेश प्रसाद लेते हुए बोला “ला खा लेता हूं तू प्रसाद समझ कर दे मैं मीठा समझ कर खा लूंगा..
सुगंधा खुश हो गई … और मुस्कुराते हुए रसोई की ओर जाते हुए गाना

Language: Hindi
8 Likes · 6 Comments · 345 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कर्म पथ पर
कर्म पथ पर
surenderpal vaidya
चुप रहने की घुटन
चुप रहने की घुटन
Surinder blackpen
"" *सिमरन* ""
सुनीलानंद महंत
खुदीराम बोस की शहादत का अपमान
खुदीराम बोस की शहादत का अपमान
कवि रमेशराज
ऐ दिल न चल इश्क की राह पर,
ऐ दिल न चल इश्क की राह पर,
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मउगी चला देले कुछउ उठा के
मउगी चला देले कुछउ उठा के
आकाश महेशपुरी
..
..
*प्रणय*
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
Phool gufran
लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
Ravi Betulwala
मनुष्य की महत्ता...
मनुष्य की महत्ता...
ओंकार मिश्र
*किसान*
*किसान*
Dushyant Kumar
विश्वास
विश्वास
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
The battle is not won by the one who keep complaining, inste
The battle is not won by the one who keep complaining, inste
पूर्वार्थ
"आज का दुर्योधन "
DrLakshman Jha Parimal
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
Smriti Singh
*पल-भर में खुश हो गया, दीखा कभी उदास (कुंडलिया)*
*पल-भर में खुश हो गया, दीखा कभी उदास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ईश्वर का
ईश्वर का "ह्यूमर" - "श्मशान वैराग्य"
Atul "Krishn"
Activities for Environmental Protection
Activities for Environmental Protection
अमित कुमार
आग और धुआं
आग और धुआं
Ritu Asooja
दो भावनाओं में साथ
दो भावनाओं में साथ
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
माॅं की कशमकश
माॅं की कशमकश
Harminder Kaur
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
सन् २०२३ में,जो घटनाएं पहली बार हुईं
सन् २०२३ में,जो घटनाएं पहली बार हुईं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आदमी की आदमी से दोस्ती तब तक ही सलामत रहती है,
आदमी की आदमी से दोस्ती तब तक ही सलामत रहती है,
Ajit Kumar "Karn"
लफ़्ज़ों में आप जो
लफ़्ज़ों में आप जो
Dr fauzia Naseem shad
That's success
That's success
Otteri Selvakumar
मैं सूर्य हूं
मैं सूर्य हूं
भगवती पारीक 'मनु'
लोगों को सफलता मिलने पर खुशी मनाना जितना महत्वपूर्ण लगता है,
लोगों को सफलता मिलने पर खुशी मनाना जितना महत्वपूर्ण लगता है,
Paras Nath Jha
"बेहतर होगा"
Dr. Kishan tandon kranti
3031.*पूर्णिका*
3031.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...