सुख
भूख लगने पर जब भोजन मिलता है।
उसके बाद जो अनुभूति होती है।
वह सुख है।
मानव कुछ छणों के लिए सुख नहीं
चाहता निरंतर सुख , चाहता है।
निरंतर सत्कर्म करते रहो
जीवन में सुख ही सुख है।
शरीर में असहनीय पीड़ा के बाद
औषधि लेने बाद जो अनुभूति होती है।
वह सुख है।
दूसरे की खुशी में, हमेशा खुश हो
दूसरों के दुख में दुखी हो
तो तुम्हारा जीवन सुखमय होगा
दुख की सत्ता है
तभी सुख की सत्ता है।