सुख
सुख
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जीवन सर्वभूत
जीव जन्तु
पेड पौधे
आकाश धरती
सभी मे चेतना
विविधता में भी
एक ही चैतन्य उर्जा
यही समग्रता
प्रकृति प्रेम लुटाती
मूलभूत सुविधाऐं देती
एक बीज भी कहीं उगाते
सहस्त्रों फल हम हैं पाते
पुष्प कइयों का मन हर्षाते
वातावरण महका जाते
बिना दिये पाने की प्रवृत्ति
मानव परोपकार से वंचित
एक हाथ से लो
दूसरे से दो
सीखना होगा
अपना हित साधें
पर दूसरों का भी
मानवता का मूल पाठ
श्रेष्ठ वही जिसमे करूणा
भाव हो समग्रता का
इसी मे संतुष्टि
संतुष्टि मे ही सुख
बृहद दृष्टिकोण अपनाओ
सुख नहीं परम सुख पाओ
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
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अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297