Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2021 · 1 min read

सुख शांति फरियाद

सुख समृद्धि शांति फरियाद
*********************

भूल कर सारे वाद-विवाद,
मन में मुटाव और अपवाद।

मिलजुल कर आगे बढते हैं,
आपस में कर मधुर संवाद।

बीत गई सो बात गई अब,
मत कर बुरे वक्त को याद।

उलाहनों की बरसात हुई,
एक दूसरे को किया बर्बाद।

गुढ़ी गाँठे पड़ जाती है,
न हो पाता कोई आबाद।

बातें होती जब किश्तों में,
जैसे मिलता रहता प्रसाद।

शिकवे शिकायत शेष रहते,
प्यार मात्र होता अपवाद।

गमगीन गिलों में कट जाती,
बढ़ जाता ज्वर अवसाद।

मनसीरत मन मंदिर सा है,
सुख समृद्धि शांति फरियाद।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
Tag: गीत
226 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"निगाहें"
Dr. Kishan tandon kranti
हर किसी का कर्ज़ चुकता हो गया
हर किसी का कर्ज़ चुकता हो गया
Shweta Soni
दर्द का दरिया
दर्द का दरिया
Bodhisatva kastooriya
रोना ना तुम।
रोना ना तुम।
Taj Mohammad
ना हो अपनी धरती बेवा।
ना हो अपनी धरती बेवा।
Ashok Sharma
राम - दीपक नीलपदम्
राम - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जीवनसाथी
जीवनसाथी
Rajni kapoor
जन अधिनायक ! मंगल दायक! भारत देश सहायक है।
जन अधिनायक ! मंगल दायक! भारत देश सहायक है।
Neelam Sharma
कमी नहीं
कमी नहीं
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
अनिल कुमार
वैसे थका हुआ खुद है इंसान
वैसे थका हुआ खुद है इंसान
शेखर सिंह
There are seasonal friends. We meet them for just a period o
There are seasonal friends. We meet them for just a period o
पूर्वार्थ
20. सादा
20. सादा
Rajeev Dutta
एकतरफा सारे दुश्मन माफ किये जाऐं
एकतरफा सारे दुश्मन माफ किये जाऐं
Maroof aalam
स्वतंत्रता और सीमाएँ - भाग 04 Desert Fellow Rakesh Yadav
स्वतंत्रता और सीमाएँ - भाग 04 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
"अस्थिरं जीवितं लोके अस्थिरे धनयौवने |
Mukul Koushik
जेठ कि भरी दोपहरी
जेठ कि भरी दोपहरी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अक्सर लोग सोचते हैं,
अक्सर लोग सोचते हैं,
करन ''केसरा''
बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
2313.
2313.
Dr.Khedu Bharti
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
मात्र नाम नहीं तुम
मात्र नाम नहीं तुम
Mamta Rani
"प्रेमको साथी" (Premko Sathi) "Companion of Love"
Sidhartha Mishra
मौज में आकर तू देता,
मौज में आकर तू देता,
Satish Srijan
तेरे दरबार आया हूँ
तेरे दरबार आया हूँ
Basant Bhagawan Roy
ग्लोबल वार्मिंग :चिंता का विषय
ग्लोबल वार्मिंग :चिंता का विषय
कवि अनिल कुमार पँचोली
संवेदना का सौंदर्य छटा 🙏
संवेदना का सौंदर्य छटा 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गले लगाना पड़ता है
गले लगाना पड़ता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
प्यार के बारे में क्या?
प्यार के बारे में क्या?
Otteri Selvakumar
खुद से प्यार
खुद से प्यार
लक्ष्मी सिंह
Loading...