सुख में तो बनेंगें दोस्त बहुत
सुख में तो बनेंगे दोस्त बहुत
अपना होने का दावा करेंगे बहुत
सब कुछ हूं पर नहीं मतलबी मैं
जब कभी लगे छाया जीवन में अंधेरा
चिन्तायें लगाने लगें जब मन में डेरा
संग हंसने को तो है ये ज़माना बहुत
रोने को मन शुरु करे गर मचलना
कभी न हिचकना..न कभी घबराना
खुशियों में तो मिलेंगे सहारे बहुत
दर्द में गर कभी पड़े अकेले मुस्कुराना
बेझिझक मेरा ये द्वार खटकाना
ना होगा कोई स्वार्थ ना कोई बहाना
कोशिश होगी बस अपनों का दिल से मुस्कुराना
© अनुजा कौशिक