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22 Aug 2022 · 1 min read

सुख – दुख

सुख के बाद दुख आता , दुख के बाद सुख ।
यही जीवन का है सत्य , होती न कभी ऊब ।।

दिन – रात कटे है कैसे , पता न चले जरा भी ।
यौवन बीत चला अब , आया कब जरा भी ।।

सुख – दुख दिन – रात , हो माता – पिता साथ ,
सीख उनकी न मानी , कुछ न आया है हाथ ।।

श्वेत – श्याम का संग , लगता बड़ा ही अजब ।
हो भले ही विपरीत , पर जोड़ी लगे गजब ।।

प्रीत की रीति है अजब , देती जाऊँ मैं नित ।
जितनी दूँ उतनी बढ़े , बस इसी में है हित ।।

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
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