सुख – दुख
सुख के बाद दुख आता , दुख के बाद सुख ।
यही जीवन का है सत्य , होती न कभी ऊब ।।
दिन – रात कटे है कैसे , पता न चले जरा भी ।
यौवन बीत चला अब , आया कब जरा भी ।।
सुख – दुख दिन – रात , हो माता – पिता साथ ,
सीख उनकी न मानी , कुछ न आया है हाथ ।।
श्वेत – श्याम का संग , लगता बड़ा ही अजब ।
हो भले ही विपरीत , पर जोड़ी लगे गजब ।।
प्रीत की रीति है अजब , देती जाऊँ मैं नित ।
जितनी दूँ उतनी बढ़े , बस इसी में है हित ।।
डॉ मधु त्रिवेदी