*सुख-दुख में जीवन-भर साथी, कहलाते पति-पत्नी हैं【हिंदी गजल/गी
सुख-दुख में जीवन-भर साथी, कहलाते पति-पत्नी हैं【हिंदी गजल/गीतिका】
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(1)
सुख-दुख में जीवन-भर साथी, कहलाते पति-पत्नी हैं
पाणिग्रहण से अहोभाग्य शुभ, बन जाते पति-पत्नी हैं
(2)
यह कब सोचा कभी किसी ने, किसको साथी पाएँगे
अद्भुत ग्रह-नक्षत्र अनूठे, मिलवाते पति-पत्नी हैं
(3)
माता-पिता कहाँ जीवन-भर, संग-साथ हैं दे पाते
उनके आशीषों से लेकिन, मुस्काते पति-पत्नी हैं
(4)
कुछ खट्टी-कुछ मीठी पथ पर, आँख-मिचौली है चलती
राहों में यों ही आपस में, बतियाते पति-पत्नी हैं
(5)
सात जन्म का बंधन है यह, ईश्वर का रचा-रचाया
एक प्राण-दो तन हों जैसे, उमगाते पति-पत्नी हैं
(6)
गई जवानी जब बूढ़ापन, दुर्बल तन पर है छाता
दिनभर खटपट-राग बजाकर, मस्ताते पति-पत्नी हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451