Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jul 2024 · 1 min read

सुख दुख के साथी

पति पत्नी होते हैं सुख दुख के साथी।
सुना है यह हमने भी साथी।
सुख में तो हम भये दोनों साथी।
दुख में क्यों छूट गए हम साथी।
मना की रह गई होगी कमी कहीं मेरे साथ देने में।
पर तुम्हारी तो कोई कमी ही नहीं मेरा साथ देने में।
ऐसा क्यों है बता दे मुझे तु, ओ मेरे साथी।
पति पत्नी होते हैं सुख-दुख के साथी सुना है यह हमने भी साथी।।
तुम्हारे दर्द में मैं अपना दर्द खोज लेती हूं।
पर मेरे दर्द में तुमने अपना सुख क्यों खोज लिया।
बता दे जरा मुझे तु, ओ मेरे साथी।
पति-पत्नी होते हैं सुख-दुख के साथी।
सुन तो यह है हम दोनों ने ही था साथी
जब देखी तुम्हारी तकलीफ मैंने, तो भूल गई मैं गुस्सा अपना।
जब देखी तकलीफ तुमने मेरी, तो फिर लिया क्यों मुंह अपना
तकलीफ तो हम दोनों की एक जैसी ही है
पर भूल क्यों नहीं तुम गुस्सा अपना।
पति पत्नी होते हैं सुख-दुख के साथी।
सुना तो यह हम दोनों ने ही था साथी।
करो जरा तुम याद, जब पड़े थे बीमार ।
बटी थी में कई रूप और आकार में।
कभी बनी मैं डॉक्टर, कभी दायी, कभी मायी,
कभी भाई, कभी सहायी।
मेरा हर एक रूप बन गया था,तुम्हारा ही सेवक।
पर यह चाहत तो नहीं है मेरी।
तुम बनो कभी मेरे सेवक।
बस एक बार प्यार से ही पूछ लेना तुम मुझे,
कैसी हो तुम ओ मेरे साथी।
पति-पत्नी होते हैं सुख-दुख के साथी।
सुना तो यह हम दोनों ने ही था

Tag: Poem
85 Views

You may also like these posts

दूसरों के दिलों में अपना घर ढूंढ़ना,
दूसरों के दिलों में अपना घर ढूंढ़ना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
घर के किसी कोने में
घर के किसी कोने में
आकांक्षा राय
खून के आंसू रोये
खून के आंसू रोये
Surinder blackpen
"एहसानों के बोझ में कुछ यूं दबी है ज़िंदगी
गुमनाम 'बाबा'
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
Sonam Puneet Dubey
तुम हो तो....
तुम हो तो....
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
प्रणय
प्रणय
*प्रणय*
#घर की तख्ती#
#घर की तख्ती#
Madhavi Srivastava
युग परिवर्तन
युग परिवर्तन
आनन्द मिश्र
"दो कदम दूर"
Dr. Kishan tandon kranti
मिलन स्थल
मिलन स्थल
Meenakshi Madhur
तुम भी जनता मैं भी जनता
तुम भी जनता मैं भी जनता
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अपना दर्द छिपाने को
अपना दर्द छिपाने को
Suryakant Dwivedi
धृतराष्ट्र की आत्मा
धृतराष्ट्र की आत्मा
ओनिका सेतिया 'अनु '
यादों में तुम
यादों में तुम
Ajeet Malviya Lalit
“लफ़्ज़-लफ़्ज़ नश्तर हैं,अर्थ में नसीहत  है।
“लफ़्ज़-लफ़्ज़ नश्तर हैं,अर्थ में नसीहत है।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
3036.*पूर्णिका*
3036.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दुःख
दुःख
Ruchi Sharma
There is no fun without you
There is no fun without you
VINOD CHAUHAN
*एक अखंड मनुजता के स्वर, अग्रसेन भगवान हैं (गीत)*
*एक अखंड मनुजता के स्वर, अग्रसेन भगवान हैं (गीत)*
Ravi Prakash
मेरी मां
मेरी मां
Jyoti Roshni
कविता-निज दर्शन
कविता-निज दर्शन
Nitesh Shah
नींद
नींद
Dr MusafiR BaithA
मंटू और चिड़ियाँ
मंटू और चिड़ियाँ
SHAMA PARVEEN
कुंडलियां
कुंडलियां
seema sharma
मरना कोई नहीं चाहता पर मर जाना पड़ता है
मरना कोई नहीं चाहता पर मर जाना पड़ता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
नज़र
नज़र
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
राखी की यह डोर।
राखी की यह डोर।
Anil Mishra Prahari
गरीबी और लाचारी
गरीबी और लाचारी
Mukesh Kumar Sonkar
Loading...