सुख- दुःख
सुख – दुःख
जीवन के रंग होते अलबेले,
उसमें हैं सुख- दु:ख के रेले|
सुख की चाह सभी हैं करते,
दु:ख की छाया से भी डरते|
सुख सदा मनभावन लगता,
हृदय को खुशियों से भरता|
सुख में अहंकार जन्म लेता,
स्वभाव में विकार भर देता|
दु:ख यह माना कष्ट है देता,
अंतस् को झकझोर है देता|
पर यह प्रभु की शरण दिखाता,
अपने-पराए का भान कराता|
सुख – दु:ख से क्या घबराना,
इसको तो है आना और जाना|
प्रभु की शरण जो तुम्हें है पाना,
इस मायाभ्रम से निकल है जाना|
– डॉ. उपासना पाण्डेय, प्रयागराज🙏😊