सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
ढुलकते एक लय धुन पर, मधुर संगीत हैं आँसू।
बरसकर आँख के रस्ते ,करें मन-बोझ ये हल्का,
भले हों गम हिमालय-से, मगर नवनीत हैं आँसू।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद