सुखी नैन
रोना भी भूल गया नेयना उसकी,
हंसी तो ना जाने कहां गुम हो गयी,
ग़म भी दूर भागती है उससे,
देख क्या नसीब उसकी,
दुनिया ने सोचा ,वह खुश बहुत,
पलकें पर बैठी, महारानी जैसे,
परन्तु,
बैचारी का दर्द देखता नहीं कोई,
पहले तो दर्द बह जाते धारा में,
अब वे नहीं नसीब में,
झुठी हंसी, हंसती तो सही,
अब तो बन गई है जैसे पाषाण