सुखी जीवन
दिनांक 17/5/19
कविता (छंदमुक्त)
कोई परिभाषा नहीं
सुख की
आत्म संतुष्टि है
सबसे बड़ा सुख
गरीब खाता
रूखी सूखी
रहता झोपड़ी में
पर है सुखी
इन्सान वो
महलों में
रहता है वो
खाता रोज
दूध मलाई
भूख मिटती नहीं
धन दौलत की
दुखी रहता
जीवन भर
है जीवन में
सुखी रहने का
मूलमंत्र
ईमान धर्म
से रहो जीवन में
सत्य का पालन
करो जीवन में
यही है मानव का
सुख संसार
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल