सुखिया मर गया सुख से
कल सुखिया मर गया सुख से
पिछले चार दिनों की भूख से…
(१)
पिट के पुलिस की लाठी से
डर के गूंडों की बंदूक से…
(२)
कैसे बेटी की शादी होगी
वह सो नहीं पाता था हूक से…
(३)
छिन गई थी उसकी ज़मीन
एक दिन छोटी-सी चूक से…
(४)
मदद मिली अपनों से लेकिन
क्या प्यास मिटती है थूक से…
(५)
आजिज़ आ गया था बिल्कुल
वह सामंतियों के रुख़ से…
(६)
उभर ही न पाया वह अभागा
अपनी मेहनत की लूट से…
(७)
कितना वह बहलाता मन को
आखिर नेताओं की झूठ से…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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