“सुकून”
“सुकून”
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करें कुछ ऐसा, खुद के साथ औरों को भी सुकून मिले।
जीवन में कोई भी शख़्स अपने कर्त्तव्य-पथ से न हिलें।
तभी इस मतलबी दुनिया की ख़ास पहचान बन पाएगी,
आपसी समन्वय, भाईचारे और विश्वास की डोर पे चलें।
( स्वरचित एवं मौलिक )
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक :- 10 / 05 / 2022.
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