सुकून
मैंने सुकून से कहा कहां खोए हो तुम।
ऐसी भी क्या खोए तुम जो याद नहींं तुम्हें हम।।
माना कि बड़ा मुश्किल है पाना तुम्हें।
पर हम तो है तुम में ही गुम कहां जाओगे छोड़कर हमें।।
जीवन की इस यात्रा में तलाश है सबको तुम्हारी।
पर सभी की तलाश कहां होती है पूरी यहां।।
पर तुम तो हो बड़े मनचले, इक हवा के झोंके के साथ ही उड़ जाते हो।
बिन बताऐ ही कि कब आओगे पास तुम अब हमारे।।
मिल जाए अगर यह सुकून रूपी मोती तुम्हें।
तो रखना बड़ा संभाल कर इसे।
बड़ा कीमती है यह मोती, नहीं मिलता हर किसी को आसानी से यह ।।