सुकून
दूर तक धूप फैली थी,
बदली से आ गई छाया।
इसे अब दूर सिंधु से उठाकर कौन लाया।
वात भी चल रही ठंडी,
दल झूम रहे सारे,
सरिता तट खड़ी नौका केवट बैठा है किनारे।
दूर तक धूप फैली थी,
बदली से आ गई छाया।
इसे अब दूर सिंधु से उठाकर कौन लाया।
वात भी चल रही ठंडी,
दल झूम रहे सारे,
सरिता तट खड़ी नौका केवट बैठा है किनारे।