“सुकून की दो रोटी”
ना धन चाहिए, ना दौलत चाहिए।
ना पहचान चाहिए ,ना शोहरत चाहिए।
और ना ही हीरे – जवाहरात चाहिए ।
मुझे तो सुकून की दो रोटी और फुरसत के दो पल चाहिए।
ना धन चाहिए, ना दौलत चाहिए।
ना पहचान चाहिए ,ना शोहरत चाहिए।
और ना ही हीरे – जवाहरात चाहिए ।
मुझे तो सुकून की दो रोटी और फुरसत के दो पल चाहिए।