सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
विधि के लेख को सहज स्वीकारी है
वन वन घूमी और मुख से ना वो बोली कभी
वहीं अयोध्या की महारानी है
कैसी ये विधि और कैसा ये विधान है
सीता की अग्नि परीक्षा खुद लेते रघुनाथ है
विधि के लेख पर स्वयं विधाता भी रो दिए
कैसा करूणामय आया ये क्षण है
स्वयं सर्वज्ञ होते हुए राम भी
मौन हो कर देखते अग्नि परीक्षा है
तन से सांसो का विरह हो रहा हो जैसे
करुणा में राम सीते -सीते बुलाते हैं
विधि का विधान जान पाया है कौन यहां
स्वयं विधाता भी विधि के ही अधीन है
जानते थे सब कुछ फिर ना कर पाए कुछ
खेल रहा स्वयं विधि का विधान है
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)