सुकन्या
✊डॉ अरुण कुमार शास्त्री
एक अबोध बालक *अरुण अतृप्त ✊
सत्य सनातन मानिए
तो ही हो कल्याण
लिखवे से कछु होय न
दिखवे को सम संतान
पर प्रीति संसार में
नीति ज्ञान अपार
खुद से खुदा जोड़ते
सो करते कर्म महान
भेद विभेद के वचन नित
कर्म वचन और ज्ञान
लड़का लड़की एक हैं
समझ चढ़े सो सूत्र
वक्त बदलने है लगा
शिक्षा से इह लोक
कौन क्षेत्र अब रह गया
जहाँ कदम नही पुत्री