सुई धागा और कैंची
सुई कहने से चुभ नहीं जाती,
कैंची कहने से कोई कट नहीं
जाता, चलते संभलकर कोई.
कोई कंटक पैर में चुभ न पाता,
चुभ भी गर, जाता, सुई से ही.
निकल पाता, धागे और कैंची को
कौन याद रखता, पट्टी बनी जो,
धागे से, कैंची कोई कैसे भुलाता.
सुई सुरक्षित है गिट्टी धागे से…
कैंची का मुंह बंद हो,सुकून मिलता.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस