सुंदरता के मायने
हाथों में किताब, आँखों में ख़्वाब रखते हों,
चेहरे पर सादगी का रूमाल रखते हो ।
तुम चाहें कुछ भी पहनों,
पर सूट सलवार में लाजवाब लगते हों ।।
चलीं जब, क्या कमाल लगतें हो,
बैठों जब, बेमिसाल लगते हों ।
सारे फूल तुम्हारे सामने हैं फीकें,
तुम खूबसूरती का गुलाब लगते हो ।।
तुम चाहें कुछ भी पहनों,
पर सूट सलवार में लाजवाब लगते हों ।
बोलों जब मिठास झड़े जैसे,
तुम शहद का मिज़ाज रखते हों ।।
तुम व्याकरण हो मेरे शब्दों की,
तुम मेरे सभी प्रश्नों के जवाब लगते हो ।
पायी हैं सूरत के साथ सीरत की भी सुंदरता,
ज़्यादा न कहकर बस इतना कहूँगा ।।
तुम मुझे कमाल लगते हो ।
तुम चाहें कुछ भी पहनों, पर सूट सलवार में लाजवाब लगते हों ।।