सीधी बात
सीधी सच्ची बात करो अब बेवजह की बहस नहीं।
मुद्दा हो तो वितर्क करो अब बेसबब की ठसक नहीं।।
शेखी बघारी जा रही थी क्या बिगाड़ा अंगद का।
पैर पटककर मुकुट गिराया मन में कोई कसक नहीं।।
अभिमन्यु को घेर घारकर वध ना अब कर पाओगे।
कलियुग का ये धर्म युद्ध है अर्जुन क्या है सजग नहीं।।
बेसबब का थूक उड़ाकर खुद को ज्ञानी समझ रहे।
बिना रीड के मानुष पर अब होगा कोई तरस नहीं।।
रहम करेंगे आखिर कब तक निर्दय बिन गौरी पर।
हर जुर्म की सजा मुकर्रर गुनाहे अजीम माफ नही।।
दाग दार हैं कपड़े जिनके तोहमत वही लगाते हैं।
काला घेरा उनके दिल में नीयत उनकी साफ नहीं।
उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)
9479611151