— चश्मा उतारकर देखो!
कटप्पा-बाहुबली
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ऊँची इमारतें
संकीर्ण मुद्दों पर बुद्धिजीवियों की त्वरित टिप्पणियाँ—-
और फिर चुटकी लेते हुए कह देना-
आजकल बिलकुल समय नहीं मिलता यार!!!
क्या कभी नल से टपकती बूँदों को पीने के लिए गिलहरी और चिड़ियों
की पुरजोर कोशिश को देखा—-
धूप में मोहल्ले में रंभाती गाय को दो रोटी एक बाल्टी पानी रखो–
जब वो पानी पीकर एक नजर देखेगी
तो फिर आप बातें नहीं करेंगे! —-
सुबह से सड़क के किनारे मजदूर-औरतें और किनारे उनके नन्हे बच्चे !
चिलचिलाती धूप में उनका भी मुँह सूखता होगा-कूलर की आवाजें —
कुल्फी की टनटन सुनकर चीखते हैं
बच्चे उनके मगर —
हम
न्यूज
लाईव टेलिकास्ट—कानों में रूई
कहीं कोई आसपास का सुनाई न दे जाये।
फिर सुबह-शाम
बाहुबली
बाहुबली कटप्पा—–
हाँ !
सुबह झाड़ूवाला अपने कर्म को सुबह की पूजा समझ करता है-फिर भी ब्रांड एमबेस्डर नहीं है–
पेपरवाला पप्पू रोज वहीं साइकिल की घ॔टी बजाते मिलता है:साहब से सुनता”आज एक मिनट लेट हो”
पप्पू,” जी”—स्कूल जाना था
आज रिजल्ट आना था
सब उल्टा-पुलटा
अस्त-व्यस्त अटपटा सा लगा न!—
सीधा करके चश्मा उतारकर देखो!