सीता सतीत्व प्रमाण
सीता सतीत्व प्रमाण
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मानव रूपी लक्ष्मण
की बनाई हुई एक
समाज की मर्यादा
रूपी लक्ष्मण रेखा को
तोड़ कर-लांघ कर
महिला रूपी सीता
दानव रूपी रावण के
चंगुल मे फंस कर
विषम-परिस्थिति में
वासनात्मक नजर से
निज को पाक साफ
पावन-पवित्र-पतित
रख कर भी वह
पर पुरुष के स्पर्श से
निज की सुंदर देह
सुरक्षित-आरक्षित
और अनछुई रख भी
पति रूपी मर्यादित
पुरुषोत्तम श्री राम के
दिल रूपी आलय में
पुनर्विस्थापन पर
गुजरना पड़ता है
अग्नि रूपी परीक्षा में
निज को सिद्ध करने
पाक-साफ-पवित्र
पावन-पतित-अनछुआ
और फिर द्वारा उसे
करना पड़ता है त्याग
पति परमेश्वर श्री राम का
गाँव-शहर रुपी अयोध्या
के जनवासियों के मन में
उठे उसके प्रति असंख्य
प्रश्नों को करने हेतु शांत
भोगना पड़ता है वनवास
गर्भावस्था जैसी स्थिति में
और देना पड़ता है पुनः
अयोध्यापति नरेश को
लव-कुश के उनके बेटे
परीक्षण और प्रमाण
और फिर आखिरकार
मानव के अपमान की
चरम सीमा को सह कर
लेना पड़ता है धरती माँ की
गोद रूपी आश्रय का सहारा
और फिर समा जाती है वो
पुरूष प्रधान पौरूषत्व को
सह सह कर हो मजबूर
सदा सदा के लिए थक हार
धरती माता की कोख में
खड़ा करके विचित्र सवाल
सदियों से आब तक
क्या किसी मानव ने भी
किसी औरत को आजतक
निज विश्वसनीयता औद
पौरूषत्व पवित्रता का प्रमाण
फिर क्यो तब से आजतक
औरतों को देना पड़ता है
विश्वसनीयता और पवित्रता
का बार बार परीक्षण-प्रमाण
क्या कभी बदल पाएगा
सुखविंद्र यह एकपक्षीय समाज
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)