सीता त्याग
****** सीता त्याग *****
****** चौपाई ********
जनक नन्दिनी राजदुलारी
मिथिला की थी राजकुमारी
अयोध्या नगर की पटरानी
राजा दशरथ की बहुरानी
मर्यादा पुरुषोत्तम महान
अयोध्या का राजा श्रीराम
श्रीराम की चित्त की रानी
राम राज्य की महारानी
धरा कोख से जन्म ले आई
धरा में ही जा कर समाई
लवकुश पुत्रों की वो जननी
जो कथनी थी वो ही करनी
वाल्मीकि मूनि धर्म बेटी
जीवन में थी खरी कसौटी
त्याग समर्पण की थी मूर्ति
जगत में कमाई यशकीर्ति
सीता नाम से जगत जीता
पावक पवित्र पावन गीता
राम संग मिथिला से विदाई
स्वयंबर रच अयोध्या आई
कैकेयी हठ , दशरथ हारा
श्रीराम अयोध्या से न्यारा
स्वामी संग प्रतिज्ञा निभाई
रामलखन संग वन में आई
भर्या देवर संग संकट भोगे
कष्ट भरे दिन हर्षित भोगे
सुंदर मृग से खाया धोखा
रावण को मिल गया मौका
पार करी जो लक्ष्मण रेखा
जिसका फल उम्रभर देखा
दशानन हरणकर ले भागा
सोने की लंका कष्ट जागा
सतीत्व शक्ति वहाँ दिखाई
अस्मत पर आँच नहीं आई
चार वेद का ज्ञाता रावण
सीता हठी अभागा रावण
राम लखन ने करी चढ़ाई
लंका की ईंट से ईंट बजाई
रावण मार लंका को जीता
जीत लाए लंका संग सीता
सीता की ली अग्निपरीक्षा
पुरी की पवित्रता समीक्षा
वनवास से अयोध्या लौटे
हर्षित दिन थे वापिस लौटे
खुशी खुशी महारानी बनी
बहारों की थी तानें तनी
अयोध्या में थे तूफां उठे
सीता पवित्र , सवाल उठे
श्रीराम हो परेशान उठा
राजधर्म संकट सवाल उठा
सीता ने महान काम किया
श्रीराम का महात्याग किया
छोड़ आई अयोध्या नगरी
जंगल में आई त्याग नगरी
वाल्मीकि ऋषि त्राण पधारी
महारानी बनी बेचारी
कष्टी भरे दिन वहां बिताये
लव कुश जने राम के जाये
वाल्मीकि शिष्य थे कहलाए
शिक्षा दिक्षा से वीर बनाए
अश्वमेध यज्ञ का था घोड़ा
लव कुश ने कानन में रोका
अयोध्या वीरों को था हराया
वाल्मीकि ऋषि ने समझाया
अश्वमेध। घोड़ा लौटाया
अयोध्या में घर घर सुनाई
राम को रामायण सुनाई
सीता की पवित्रता गाई
अयोध्या में वापिस बुलाई
चरित्र शपथ मांगी दुहाई
बीच सभा में सीता आई
धरती से गुहार लगाई
अगर है सीता पाक पवित्र
पानी से निर्मल है चरित्र
तो फिर ये धरती फट जाए
निज संग सीता भू ले जाए
जब सीता की हुंकार सुनी
रघुवंशी जान सूली लटकी
गुहार सुन धरती फट आई
सीता थी अवनि मैं समाई
सुखविन्द्र सीता कथा गाई
सीता सतीत्व बात सुनाई
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
वनवास में विपदाएं भोगी