*सीता (कुंडलिया)*
सीता (कुंडलिया)
सीता पति-अनुगामिनी, चलीं राम के संग
तारतम्य दांपत्य को, किंचित किया न भंग
किंचित किया न भंग, हर्ष या मिली उदासी
महलों के सुख त्याग, रहीं हॅंसकर वनवासी
कहते रवि कविराय, हृदय यों पति का जीता
गए छुड़ाने राम, सेतु से लंका सीता
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451