सीख
गिरते गिरते हम चलना सीख गए ।
कठिन राह था लेकिन
निकालना सीख गए ।
हम चलना सीख गए
आदत है बलवान न बदली
अपनो को कब छोड़ेगे।
वो जलना सीख गए
हम चलना सीख गए ।
नहीं सुधरती आदत धोखे की
हम मुसीबत से निकलना सीख गए ।
वो हाथ मलना सीख गए ।
मौके की तलाश रही हैं
हम बढना सीख गए
वो छलना सीख गए ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र
नरई संग्रामगढ प्रतापगढ