सीख
सीख:
झुकी फलो की डाली ने सिखाया।
तुझमे इतना गुरूर कहाँ से आया।
बना खुद को शालीन- प्रवीण।।
जिससे होगा तू विकसित सर्वांगीण।
गुणों से इसां स्वतः झुक जाता है।।
तभी तो तूफानों का सामना कर पाता है।
ठीक यूंही घास का एक तिनका…
तूफानो से टकराता है पर सीधा खड़ा दरख़्त
कट कर गिर जाता है।।।
विनम्र बनें !
सुधा भारद्वाज
विकासनगर