सीख
रामप्रसाद जी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हिंदी शिक्षक के रूप में कार्यरत थे । साथ ही साथ वे बढ़-चढ़कर सामाजिक कल्याण कार्यों में रुचि लेकर अपना योगदान प्रदान करते रहते थे।
वे एक अच्छे शिक्षक के अलावा एक अच्छे लेखक भी थे जो समय-समय पर लेख एवं सामयिक विषयों पर अपनी टिप्पणियां समाचार पत्रों में प्रकाशित करते रहते थे।
एक ईमानदार कर्मठ , कर्तव्य परायण शिक्षक की छवि उनकी समाज में थी। उनके विद्यार्थियों के भी वे चहेते शिक्षक थे और उनमें उनके प्रति स्नेह और आदर की भावना थी।
उनकी एक नियमित दिनचर्या थी , सवेरे जल्दी उठकर सैर पर जाना फिर आकर नहा धोकर पूजा पाठ कर अखबार का अवलोकन करना। तथा अपनी डायरी में लेखन हेतु मुख्य बिंदुओं को लिखना। और दिन भर का कार्यक्रम समयवार निर्धारित करना उनकी आदत थी।
उनके परिवार में उनकी पत्नी एवं एक बेटा अंकित जो कंप्यूटर विज्ञान द्वितीय वर्ष का कॉलेज छात्र था।
उस दिन सवेरे रामप्रसाद जी रोजमर्रा की तरह पेपर पढ़ रहे थे । तभी पास के थाने से एक सिपाही आया और उनसे बोला कि थानेदार साहब आपको थाने बुला रहे हैं। रामप्रसाद जी ने कहा क्या बात है तो उसने कहा मुझे मालूम नहीं आप ही आकर उनसे बात करो।
रामप्रसाद जी ने अंकित को बुलाया और कहा कि जरा मेरे साथ जरा थाने चलो पता नहीं क्या बात है थानेदार ने मुझे बुलाया है वस्तुस्थिति वहां जाने पर ही पता लगेगी।
थाने पहुंचने पर थानेदार राजवीर सिंह ने रामप्रसाद जी को भद्दी भद्दी गालियां देते हुए थाने में बंद कर उनके खिलाफ विभिन्न धाराएं लगाकर केस दर्ज करने की धमकी दे डाली। रामप्रसाद जी एकदम चकित रह गए कुछ समझ न पाए परंतु फिर उनकी समझ में आया यह सब रेत माफिया के रसूखदार लोगों का किया धरा है जिनके गोरखधंधे का खुलासा उन्होंने कुछ समय पहले समाचार पत्र में प्रकाशित किया था जिसमें स्थानीय नेताओं का भी हाथ है। जिसके फलस्वरूप शासन की छीछालेदर समाचार पत्रों और मीडिया में जोर शोर से हुई है।
और राज्य शासन ने इस पर जांच कमेटी बिठा दी और कड़े निर्देश दिए हैं कि दोषी व्यक्तियों को बख्शा नहीं जाएगा और उनसे राजस्व की हानि वसूल की जाएगी।
अंकित को थानेदार के व्यवहार पर बहुत गुस्सा आया परंतु उसने अपना मानसिक संतुलन कायम रखकर चुपके से उस पूरी घटना का अपने मोबाइल में वीडियो बना डाला और तुरंत उसे पुलिस कमिश्नर कलेक्टर एवं राज्य खनन मंत्री को फेसबुक एवं ट्विटर के माध्यम से भेज दिया तथा अपने हित चिंतकों को भी व्हाट्सएप, फेसबुक एवं ट्विटर के माध्यम से वीडियो पोस्ट कर दिया।
वह वीडियो तुरंत वायरल होकर मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज़ बन कर आ गया।
अभी रामप्रसाद जी को थाने में बैठे एक ही घंटा हुआ था कि पुलिस कमिश्नर का फोन थानेदार को आया जिसमें उसने लताड़ लगाई और तुरंत रामप्रसाद जी को घर भेजने का आदेश दिया , और चेतावनी दी कि यह एक जनांदोलन का रूप ले सकता है जिसे संभालना मुश्किल हो जाएगा ।
थानेदार ने रामप्रसाद जी को जाने को कहा इस पर रामप्रसाद जी ने थानेदार से कहा जरा साहब आप बाहर आइए मैं आपको कुछ इनाम देना चाहता हूं।
इस पर रिश्वत के भूखे उस थानेदार ने सोचा कि रामप्रसाद जी खुश होकर उसको कुछ पैसे देना चाहते हैं।
और वह बाहर आया बाहर आने पर रामप्रसाद जी ने थानेदार के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा , और कहा एक शिक्षक की तुम्हें यह शिक्षा है कि किसी ईमानदार आदमी को तंग करने से पहले सोच लेना नहीं तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगें।
थानेदार रामप्रसाद जी के इस अप्रत्याशित व्यवहार से हतप्रभ होकर रह गया उसे अपने किए की सीख एक अध्यापक से मिल चुकी थी।